हरिद्वार को छोड़कर 12 जिलों के गांवों की सरकार दो माह के अंदर बनने जा रही है। इसके लिए प्रदेश की धामी सरकार भी तैयार है। पिछले डेढ़ साल से प्रदेश में पंचायत चुनाव को लेकर कई पेज फंसे हुए थे। ओबीसी आरक्षण सूची का मामला हाईकोर्ट में भी पहुंचा। अब पूरी संभावना है कि जुलाई महीने में प्रदेश में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव हो जाएंगे। पिछले दिनों धामी सरकार की ओर से हाईकोर्ट में शपथ पत्र दाखिल किया गया । जिसमें बताया गया त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव कराने के लिए राज्य सरकार तैयार है। सरकार ने हाईकोर्ट में शपथपत्र के जरिए ये जानकारी दी है। महाधिवक्ता एसएन बाबुलकर ने पंचायत चुनाव संबंधी शपथपत्र दाखिल करने की पुष्टि की है। जिला पंचायतों में निवर्तमान अध्यक्ष व ग्राम पंचायतों में निवर्तमान प्रधानों को प्रशासक बनाने को चुनौती देती कई याचिकाएं हाईकोर्ट में विचाराधीन हैं। इन याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने सरकार से पूछा था कि पंचायत चुनाव कब तक कराए जा सकते हैं। इस पर राज्य निर्वाचन आयोग की ओर से बताया गया कि उनकी पूरी तैयारी है। सरकार के स्तर से आरक्षण के संबंध में निर्णय होना है। उत्तराखंड में हरिद्वार को छोड़कर बाकी 12 जिलों में पंचायत चुनाव की प्रक्रिया शुरू हो गई है। राज्य निर्वाचन आयोग जुलाई में अधिसूचना जारी करेगा। सरकार ने हाई कोर्ट में बताया कि ओबीसी आरक्षण की सिफारिशें लंबित होने के कारण चुनाव में देरी हुई। याचिकाकर्ताओं ने प्रशासक नियुक्ति का विरोध किया है पर सरकार का कहना है कि इससे पंचायती राज एक्ट का उल्लंघन नहीं हुआ है। जिसके आधार पर राज्य में पंचायत चुनाव को लेकर तस्वीर साफ हो गयी है। उत्तराखंड में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव को लेकर राज्य निर्वाचन आयोग ने अपनी तैयारी तेज कर दी है। निर्वाचन आयोग इन दिनों ग्राम पंचायतों की खुली बैठकों के माध्यम से वोटर लिस्ट में नाम जोड़ने और हटाने के लिए विशेष अभियान चला रहा है। हरिद्वार जिले को छोड़कर अन्य जिलों की ग्राम पंचायतों का कार्यकाल पिछले साल 28 नवंबर 2024 को समाप्त हो चुका है। जबकि क्षेत्र पंचायतों का 30 नवंबर 2024 और जिला पंचायतों का दो दिसंबर 2024 को समाप्त हो चुका है। लेकिन चुनाव न हो पाने की स्थिति में शासन की ओर से पंचायतों में अगले 6 महीने में लिए प्रशासक बिठा दिए गए। 27 मई को ग्राम पंचायतों, 29 मई को क्षेत्र पंचायतों और 31 मई को जिला पंचायतों के प्रशासकों का कार्यकाल समाप्त हो रहा है। ऐसे में शासन स्तर पर प्रशासकों के कार्यकाल को अगले 6 महीने तक बढ़ाए जाने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। प्रशासकों के कार्यकाल बढ़ाए जाने संबंधित पत्र तैयार होने के बाद राज्यपाल की मंजूरी के लिए राजभवन भेजा जाएगा। जहां से मंजूरी मिलने के बाद प्रशासकों का कार्यकाल बढ़ा दिया जाएगा। भले ही उत्तराखंड शासन प्रशासकों का कार्यकाल अगले 6 महीने के लिए बढ़ाए जाने को लेकर कसरत शुरू कर दी हो, लेकिन राज्य सरकार 15 जुलाई तक चुनाव प्रक्रिया संपन्न कराने की दिशा में भी काम कर रही है। इसी क्रम में प्रशासकों का कार्यकाल समाप्त होने से पहले ही उत्तराखंड पंचायती राज (संशोधन) अध्यादेश 2025″ और ओबीसी आरक्षण अध्यादेश को राजभवन से मंजूरी मिल गई है। ऐसे में अब पंचायत चुनाव के मद्देनजर शासन, पदों का आरक्षण निर्धारित करने की प्रक्रिया शुरू करने जा रही है।
12 जिलों में होने वाले त्रिस्तरीय चुनाव के लिए राज्य निर्वाचन आयोग ने वोटर लिस्ट जारी की–
उत्तराखंड में होने वाली त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के लिए राज्य निर्वाचन आयोग ने भी पूरी तैयारी कर ली है। गुरुवार शाम को राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा आगामी त्रिस्तरीय पंचायतों के सामान्य निर्वाचन के लिए पंचायत निर्वाचक नामावलियों में नाम खोजने की सुविधा हेतु मतदाता सूची पोर्टल पर उपलब्ध करा दी गयी है। पंचायतों के मतदाता अपना नाम आयोग के उक्त पोर्टल पर ‘‘पंचायत मतदाता खोजें’’ पर क्लिक कर खोज सकते हैं। इस संबंध में सचिव राज्य निर्वाचन आयोग राहुल कुमार गोयल द्वारा जारी विज्ञप्ति में बताया गया है कि घर-घर जाकर कराये गये विस्तृत पुनरीक्षण के अनुसार दिनांक 17.01.2025 को अन्तिम रूप से प्रकाशित निर्वाचक नामावली में अंकित मतदाताओं के नाम खोजे जा सकते हैं। उन्होंने बताया कि जिन मतदाताओं के नाम कतिपय कारणों से निर्वाचक नामावली के अन्तिम प्रकाशन में सम्मिलित होने से रह गये थे उन मतदाताओं के नाम आयोग द्वारा दिनांक 01.03.2025 से दिनांक 22.03.2025 तक प्रदेश की समस्त ग्राम पंचायतों में (हरिद्वार जनपद को छोड़कर) ग्रामवार बैठक बुलाकर निर्वाचक नामावली प्रकाशित करने हेतु विशेष अभियान चलाया गया था। उसके बाद भी ग्राम पंचायत के संबंधित प्रादेशिक निर्वाचन क्षेत्र (वार्ड) की निर्वाचक नामावली में नाम सम्मिलित करने हेतु उपलब्ध कराये गये आवेदनों पर जनपदों द्वारा आयोग से स्वीकृति प्राप्ति के बाद उक्त पोर्टल पर खोजे जा सकेंगे। सचिव राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा स्पष्ट किया गया है कि जनपदों के माध्यम से प्रयास किए गए हैं कि किसी भी पात्र निर्वाचक का नाम निर्वाचक नामावली में सम्मिलित होने से ना छूटे तथापि अभी भी पात्र मतदाता अपने निकटतम विकास खण्ड अथवा तहसील कार्यालय में प्रपत्र भरकर नाम जोड़ने/संशोधन करने के लिए आवेदन कर सकते हैं। 12 जिलों में पंचायतों के संभावित पदों की संख्या इस प्रकार है। प्रदेश में ग्राम पंचायतों के पदों की संख्या 7499 है। सदस्य ग्राम पंचायत 55589, प्रधान ग्राम पंचायत 7499, उप ग्राम पंचायत 7499, सदस्य क्षेत्र पंचायत 2974, सदस्य जिला पंचायत 358, प्रमुख क्षेत्र पंचायत 89, ज्येष्ठ उप प्रमुख क्षेत्र पंचायत 89, कनिष्क उप प्रमुख क्षेत्र पंचायत 89, जिला पंचायत अध्यक्ष 12 और उप जिला पंचायत अध्यक्षों की संख्या 12 है।

‘एक देश-एक चुनाव” पर गठित संयुक्त संसदीय समिति’
यह संयुक्त संसदीय समिति उत्तराखंड में दो दिनों से हितधारकों और राजनीतिक दलों से सुझाव लिया। इस दौरान सभी दलों ने समिति को अपने-अपने सुझाव दिए हैं। 21 मई को संसदीय समिति का 41 सदस्य प्रतिनिधिमंडल देहरादून पहुंच था। इसमें 39 सांसद और दो मनोनीत सदस्य शामिल थे । समिति ने दो दिनों तक लगातार एक देश एक चुनाव पर सभी से फीडबैक लिया। इस दौरान राज्यों से अपेक्षा की गई है कि वे छह महीने के भीतर विभागवार रिपोर्ट समिति को सौंप देंगे। एक देश, एक चुनाव’ पर गठित संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के अध्यक्ष पी पी चौधरी ने गुरुवार को कहा कि सभी राज्यों से एक साथ चुनाव होने के नफा-नुकसान पर विस्तृत रिपोर्ट देने को कहा गया है जिससे समिति को अपनी रिपोर्ट बेहतर बनाने में सहयोग मिले। उत्तराखंड में अपने दो दिवसीय दौरे के दूसरे दिन मीडिया से बातचीत में चौधरी ने कहा कि राज्यों से अपेक्षा की गई है कि वे छह महीने के भीतर यह रिपोर्ट समिति को सौंप दें। उन्होंने कहा कि यह मुद्दा देश हित का है, इसलिए आने वाले दिनों में जो भी फैसला किया जाएगा, उसमें देश हित ही सर्वोपरि रहेगा। चौधरी ने बताया कि समिति ने अभी तक महाराष्ट्र और उत्तराखंड से ‘एक देश एक चुनाव’ पर जानकारी ली है। उन्होंने कहा कि समिति सभी राज्यों से संपर्क करेगी। उन्होंने कहा कि समिति अपने स्तर से तो प्रतिक्रिया ले ही रही है लेकिन सभी राज्यों से एक साथ चुनाव के प्रत्यक्ष व परोक्ष लाभ-हानि पर विस्तृत अध्ययन कर रिपोर्ट भेजने को कहा गया है ताकि समिति को अपनी रिपोर्ट और बेहतर बनाने में सहयोग मिल पाए। जेपीसी के अध्यक्ष ने कहा कि रिपोर्ट तैयार करने के मामले में समिति के सामने कोई समय-सीमा निर्धारित नहीं है और न ही वह किसी भी तरह की जल्दबाजी में है। उन्होंने कहा कि यह काम देश हित से जुड़ा अत्यंत महत्व का है इसलिए जोर ठोस काम करने पर है। चौधरी ने कहा कि यदि एक साथ चुनाव होने शुरू हो गए तो देश की अर्थव्यवस्था को पांच लाख करोड़ रुपये का लाभ पहुंचेगा जो सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 1.6 फीसदी होगा। उन्होंने कहा कि मौसम भी चुनाव को प्रभावित करने वाला प्रमुख कारक है। उन्होंने कहा कि पूरे देश में पिछले कई वर्षों से लोकसभा चुनाव अप्रैल-मई में कराए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि एक साथ चुनाव के संबंध में बहुत सी बातें बाद में निर्धारित होनी है लेकिन अप्रैल-मई में एक साथ चुनाव कराने के सुझाव को उपयुक्त माना जा रहा है।